हम अलग ही बेहतर हैं


मैनें तुझे भुलाया नहीं हैं,
बस इन आँखों से दूर किया है।
तुझे यादों से मिटाया नहीं है,
खुद को तेरे बिना जीने के लिए मजबूर किया है।।

इस दूरी में तेरी किसी कमी का हाथ नहीं है,
ना तुझमे कोई आदत बुरी है।
बस जिसमे तेरा-मेरा साथ लिखा हो,
किस्मत की वो लकीर अधुरी है।।

लकीर! जिसमे लिखीं हैं,जिम्मेदारियाँ,फर्ज़,
जिन्हें अधूरा छोड़ नहीं सकती।
भरोसा है मुझपर किसी को,कुछ उम्मीदें जुड़ी हैं,
जिन्हें भूल-चूक से भी तोड़ नहीं सकती।।

तुझे खोना नहीं चाहती हूँ,
पर अभी पा भी नही सकती।
रोक रहा है मन तुझे जाने से इसे कैसे चुप कराऊं,
ये हताल इस बेजुबान को समझा नहीं सकती।।
              
Pabitra Kumar Roy
Pabitra Kumar Roy Marketing || Part-Time Blogger

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